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रिंग पांच धातु से बनी हुई है, और 1008 शिव मंत्र से अभिमन्त्रीत की हुई है.
साथ मे सर्टिफिकेट कार्ड भी है.
ओपल रत्न एक सुंदर और चमकदार पत्थर है, जो अपने इंद्रधनुषी रंगों के लिए जाना जाता है। यह मुख्यतः सफेद, नीला, हरा, पीला और काला रंगों में पाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में, ओपल रत्न का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है, जो प्रेम, सौंदर्य, और समृद्धि का प्रतीक है।
ओपल रत्न के लाभ:
सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि: इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है, जिससे समाज में उसकी लोकप्रियता बढ़ती है।
वैवाहिक जीवन में सुधार: ओपल रत्न वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है, जिससे दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
आर्थिक समृद्धि: यह रत्न धन और वैभव में वृद्धि करता है, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
रचनात्मकता में वृद्धि: ओपल रत्न धारण करने से सृजनात्मकता और कला के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
कौन पहन सकता है:
वृषभ और तुला राशि के जातकों के लिए ओपल रत्न धारण करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो या अशुभ स्थिति में हो, वे भी ज्योतिषीय परामर्श के बाद इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
धारण करने की विधि:
धातु और उंगली: ओपल रत्न को चांदी या सोने की अंगूठी में जड़वाकर दाहिने हाथ की अनामिका (रिंग फिंगर) में पहनना चाहिए।
दिन और समय: शुक्रवार के दिन, विशेषकर शुक्ल पक्ष में, सूर्योदय से पहले इस रत्न को धारण करना शुभ माना जाता है।
शुद्धिकरण: पहनने से पहले, अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल में कुछ समय के लिए डुबोकर शुद्ध करें। इसके बाद, सफेद कपड़े पर रखकर 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः' मंत्र की एक माला जाप करें, फिर अंगूठी धारण करें।